धान की रोपाई एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है और इसे सही तरीके से करने से फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होती है। धान की रोपाई के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
1. नर्सरी की तैयारी
- नर्सरी स्थल का चयन: नर्सरी के लिए उपयुक्त जगह का चयन करें, जहां पानी की समुचित व्यवस्था हो।
- बीज उपचार: बीज को बुवाई से पहले 24 घंटे तक पानी में भिगोएं और फिर छाया में सुखा लें। इससे बीज जल्दी अंकुरित होते हैं।
- बुवाई: नर्सरी में बीज को कतारों में बोएं। कतारों के बीच 10-15 सेमी की दूरी रखें।
2. पौध की देखभाल
- सिंचाई: नर्सरी में पौधों की सिंचाई नियमित रूप से करें ताकि मिट्टी हमेशा नम रहे।
- खाद: नर्सरी में जैविक खाद या गोबर की खाद का प्रयोग करें। नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का संतुलित मिश्रण भी उपयोगी है।
- खरपतवार नियंत्रण: नर्सरी में खरपतवार को समय-समय पर निकालते रहें।
3. रोपाई का समय
- उम्र: जब पौधे 20-25 दिन के हो जाएं और 3-4 पत्तियां आ जाएं, तब रोपाई के लिए उपयुक्त होते हैं।
- समय: सामान्यतः रोपाई का समय जून-जुलाई का होता है, जब मानसून की शुरुआत हो चुकी होती है।
4. खेत की तैयारी
- जोताई: खेत को अच्छी तरह जोतकर समतल करें।
- पानी भरना: खेत में 5-7 सेमी पानी भरें ताकि रोपाई के समय पौधों को आसानी से लगाया जा सके।
- उर्वरक: रोपाई से पहले खेत में जैविक खाद या रासायनिक उर्वरक डालें।
5. रोपाई की प्रक्रिया
- दूरी: पौधों को कतारों में रोपें। कतारों के बीच 20-25 सेमी और पौधों के बीच 15-20 सेमी की दूरी रखें।
- गहराई: पौधों को 2-3 सेमी गहराई में लगाएं ताकि उनकी जड़ें अच्छी तरह से मिट्टी में समा सकें।
- मिट्टी का दबाव: रोपाई के बाद पौधों के पास की मिट्टी को हल्के से दबाएं ताकि पौधे स्थिर रहें।
6. रोपाई के बाद देखभाल
- सिंचाई: रोपाई के तुरंत बाद खेत में 2-3 सेमी पानी रखें और फिर नियमित अंतराल पर पानी देते रहें।
- खरपतवार नियंत्रण: समय-समय पर खेत में उगने वाले खरपतवार को निकालते रहें।
- रोग और कीट नियंत्रण: पौधों की समय-समय पर जाँच करें और कीटनाशक या फफूंदनाशक का छिड़काव करें।
इन सभी चरणों का पालन करके धान की फसल की रोपाई अच्छे से की जा सकती है, जिससे उच्च गुणवत्ता और अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है।