धान भारत की मुख्य फसल है। मुख्यतौर पर ये मॉनसून की खेती है लेकिन कई राज्यों में धान सीजन में दो बार होता है।
धान की खेती करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
1. मिट्टी की तैयारी
धान की खेती के लिए जलोढ़ मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। खेत को अच्छी तरह से जोतें और पाटा करें ताकि मिट्टी बारीक और समतल हो जाए।
2. बीज चयन और बुवाई
उत्तम गुणवत्ता वाले बीज चुनें। बुवाई से पहले बीज को पानी में भिगोकर उपचारित कर लें। नर्सरी में बीज बोएं और जब पौधे लगभग 20-25 दिन के हो जाएं तब उन्हें मुख्य खेत में रोपाई करें।
3. रोपाई
धान की रोपाई करते समय दो पौधों के बीच 15-20 सेंटीमीटर और कतारों के बीच 20-25 सेंटीमीटर की दूरी रखें। यह दूरी पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह देती है।
4. पानी का प्रबंधन
धान की फसल के लिए पानी का अच्छा प्रबंधन बहुत जरूरी है। रोपाई के बाद खेत में 2-3 सेंटीमीटर पानी रखें। फसल की वृद्धि के दौरान खेत में 5-7 सेंटीमीटर पानी बनाए रखें।
5. खाद और उर्वरक
धान की फसल को अच्छी उपज देने के लिए उचित मात्रा में जैविक खाद और रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करें। नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की मात्रा संतुलित रखें।
6. खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार फसल की बढ़वार को प्रभावित करते हैं। समय-समय पर हाथ से या रासायनिक विधियों से खरपतवार हटाएं।
7. रोग और कीट नियंत्रण
धान की फसल को बीमारियों और कीटों से बचाने के लिए समय-समय पर कीटनाशकों और फफूंदनाशकों का छिड़काव करें। रोगग्रस्त पौधों को निकाल कर अलग करें।
8. कटाई
जब धान के पौधों की बालियां पक्क जाएं और दाने सख्त हो जाएं तब फसल की कटाई करें। कटाई के बाद धान की बालियों को धूप में सुखाकर थ्रेसिंग करें।
9. भंडारण
धान की फसल को सुरक्षित रखने के लिए अच्छी तरह से सूखा कर भंडारण करें। भंडारण के लिए हवादार और सूखे स्थान का चयन करें ताकि फसल को फफूंद या कीटों से बचाया जा सके।
इन सभी चरणों का पालन करने से धान की अच्छी पैदावार मिल सकती है।