क्षेत्र की मिट्टी के अनुसार किस्म का चयन करना चाहिए, सबसे अच्छी किस्म का चयन करना चाहिए. इसके अलावा अगर आप बासमती धान बो रहे हैं तो सिंचाई बरसात की होती है. अगर ऐसा नहीं होता है तो इसमें समय ज्यादा लगता है. अगर आपके इलाके में हल्की बारिश हुई है तो आपको बासमती धान लगाने की बजाय परमल धान या हाइब्रिड धान लगाना चाहिए। अगर आपके पास सिंचाई के साधन कम हैं या हल्की बारिश हुई है। अगर ऐसा है तो किस्म बहुत जरूरी है। आपको इलाके के हिसाब से किस्म का चुनाव करना चाहिए।
धान की पौध तैयार करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
बीज का चयन:
- अच्छे और स्वस्थ बीजों का चयन करें।
- बीजों को साफ पानी में डालें और तैरते हुए बीजों को हटा दें, क्योंकि ये खराब हो सकते हैं।
बीज उपचार:
- बीज को फफूंदनाशक द्रव (जैसे कि कार्बेन्डाजिम या थायरम) में 24 घंटे तक भिगोकर रखें।
- इससे बीज जनित बीमारियों से बचाव होता है।
नर्सरी की तैयारी:
- नर्सरी के लिए एक उपयुक्त स्थान चुनें जहाँ पर्याप्त धूप और पानी की सुविधा हो।
- भूमि को अच्छी तरह से जोतकर और समतल कर लें।
- पंक्तियों के बीच 15-20 सेमी की दूरी रखें और पंक्तियों में बीज बोएं।
बुआई:
- बीजों को उचित दूरी पर बोएं।
- बीजों को हल्की मिट्टी या कम्पोस्ट की पतली परत से ढक दें।
- बुआई के बाद हल्की सिंचाई करें।
सिंचाई और देखभाल:
- नियमित रूप से नर्सरी की सिंचाई करें ताकि मिट्टी हमेशा नम बनी रहे।
- खरपतवार नियंत्रण करें और पौधों को स्वस्थ रखने के लिए उचित पोषण दें।
पौध तैयार करना:
- 20-25 दिनों के बाद पौधे लगभग 15-20 सेमी ऊँचे हो जाते हैं और रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
- पौधों को उखाड़ते समय ध्यान दें कि जड़ों को नुकसान न हो।
रोपाई:
- मुख्य खेत में धान की पौधों की रोपाई करें।
- खेत की मिट्टी को अच्छी तरह से तैयार कर लें और उसमें पानी भरकर पौधों को 20×15 सेमी की दूरी पर लगाएं।
क्षेत्र की मिट्टी के अनुसार किस्म का चयन करना चाहिए, सबसे अच्छी किस्म का चयन करना चाहिए. इसके अलावा अगर आप बासमती धान बो रहे हैं तो सिंचाई बरसात की होती है. अगर ऐसा नहीं होता है तो इसमें समय ज्यादा लगता है. अगर आपके इलाके में हल्की बारिश हुई है तो आपको बासमती धान लगाने की बजाय परमल धान या हाइब्रिड धान लगाना चाहिए। अगर आपके पास सिंचाई के साधन कम हैं या हल्की बारिश हुई है। अगर ऐसा है तो किस्म बहुत जरूरी है। आपको इलाके के हिसाब से किस्म का चुनाव करना चाहिए।
किसान भाई नर्सरी को स्वस्थ रखने के लिए क्या करते हैं, लेकिन जैसे ही हम खेत में पौधे लगाते हैं, हमारी नर्सरी में कीड़े-मकौड़े आ जाते हैं। अब जड़ें मिट्टी को अच्छे से पकड़ नहीं पाती हैं और कीड़ों का हमला हो जाता है। अगर हम कोई कीटनाशक का छिड़काव करते हैं तो रोपाई वाले खेत में हमारी पौध बहुत कमजोर हो जाएगी। ऐसी हालत में आपको एक काम करना है। वो ये कि जब नर्सरी पूरी तरह से तैयार हो जाए तो रोपाई से पहले आपको डेलीगेट या सालमन में से किसी एक का डेढ़ मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव करना चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको नर्सरी में बहुत अच्छे तरीके से सुरक्षा मिलेगी। आपको कीड़े-मकौड़े और जानवर देखने को मिलेंगे और नर्सरी तैयार करने का ये सही समय है। 20 जून से 25 जून के बीच नर्सरी की बुवाई और नर्सरी लगाने के लिए एक सही समय माना जाता है। इसके लिए यह सबसे अच्छा माना जाता है यानी आप जितनी देरी से नर्सरी डालेंगे उतनी ही आपकी फसल में देरी होगी इसलिए अगर आपके पास सिंचाई के साधन और पानी की अच्छी व्यवस्था है तो आपको बरसात से पहले ही धान की नर्सरी लगाने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। इंतजार मत कीजिए नहीं तो बहुत देर हो जाएगी।
जब नर्सरी करीब 15 दिन की हो जाती है तो आपको पीलेपन की थोड़ी बहुत समस्या दिखेगी तो यूरिया और ह्युमिक एसिड का इस्तेमाल करना चाहिए। नंबर पांच: पीलापन अगर आपकी नर नर्सरी पर पीलापन है और आप उसे नजरअंदाज करते हैं तो ये भी बहुत बड़ी गलती हो सकती है क्योंकि अगर आप पीली पड़ चुकी नर्सरी को लगाएंगे तो चाहे आप कितना भी बेसल डोज लगा लें प्रयोग करते रहेंगे फिर अगर ग्रोथ उतनी अच्छी नहीं होती है
Note: जब भी आप सिंचाई करें हमेशा शाम के समय करें और जितना पानी आप भर रहे हैं उतना ही पानी से सिंचाई करें !